स्वच्छ और प्रामाणिक का लेबल इसको लोग चिपकाते ही रहे लेकिन कोयलाकांड से ले कर सभी कांड में इसकी भूमिका पर सत्य बहार आ ही गये.
अब तक भी, जिंदगी के आखरी पड़ावमें भी सरेआम बेशर्मी वाला जूठ गाँधी के गुजरात में आ कर बोला जिसके “सत्य के प्रयोग” को ले कर ढोल पिट कर सत्ता चलाते रहे.